नेपाल का ऐतिहासिक कदम: नेपाल ने भारत की मदद से शुक्रवार को पहली बार बांग्लादेश को 40 मेगावाट बिजली का निर्यात किया।
नेपाल का ऐतिहासिक कदम: भारतीय ट्रांसमिशन नेटवर्क के जरिए नेपाल की पहली बिजली आपूर्ति
नेपाल का ऐतिहासिक कदम: यह कदम नेपाल, भारत और बांग्लादेश के बीच 3 अक्टूबर 2024 को काठमांडू में हस्ताक्षरित त्रिपक्षीय समझौते का हिस्सा है। इस समझौते के तहत नेपाल, हर साल बरसात के मौसम (15 जून से 15 नवंबर) के दौरान, भारत के ट्रांसमिशन नेटवर्क का उपयोग करके बांग्लादेश को बिजली आपूर्ति करेगा।
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इस ऐतिहासिक पहल को नेपाल विद्युत प्राधिकरण (एनईए) ने भारतीय ट्रांसमिशन नेटवर्क की मदद से सफलतापूर्वक क्रियान्वित किया। शुक्रवार को यह बिजली नेपाल के 25 मेगावाट के त्रिशूली और 22 मेगावाट के चिलीम जलविद्युत संयंत्रों से बांग्लादेश भेजी गई। इसके लिए भारत की 400-केवी मुजफ्फरपुर-बेहरामपुर-भेडामारा ट्रांसमिशन लाइन का उपयोग किया गया।
ऐतिहासिक समझौता: नेपाल भारत और बांग्लादेश का सहयोग
यह समझौता नेपाल विद्युत प्राधिकरण (एनईए), भारत की एनटीपीसी विद्युत व्यापार निगम लिमिटेड, और बांग्लादेश पावर डेवलपमेंट बोर्ड (बीपीडीबी) के बीच हुआ। इसका उद्देश्य ऊर्जा व्यापार को बढ़ावा देना और क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करना है। यह पहल नेपाल के लिए आर्थिक विकास और कूटनीतिक सफलता का प्रतीक है। एनईए के प्रवक्ता चंदन घोष ने इसे ‘ऐतिहासिक अवसर’ करार देते हुए कहा कि यह नेपाल के लिए तीसरे देशों को बिजली निर्यात का मार्ग प्रशस्त करेगा।
बिजली निर्यात में देरी के कारण
हालांकि, समझौते पर हस्ताक्षर होने के बाद बिजली निर्यात में देरी हुई। इसका मुख्य कारण बांग्लादेश में जारी राजनीतिक अशांति रही। लेकिन अब यह पहल क्षेत्रीय ऊर्जा व्यापार में स्थिरता और सहयोग का संकेत देती है।
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भारतीय ट्रांसमिशन नेटवर्क नेपाल और बांग्लादेश को जोड़ने वाली कड़ी
इस त्रिपक्षीय सहयोग में भारत की भूमिका केंद्रीय रही है। भारत के ट्रांसमिशन नेटवर्क ने नेपाल को बांग्लादेश तक बिजली पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई। इस नेटवर्क का इस्तेमाल न केवल नेपाल के लिए फायदेमंद है बल्कि यह दक्षिण एशिया में ऊर्जा सहयोग के नए आयाम खोलता है।
विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट
इसी बीच, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 8 नवंबर को समाप्त सप्ताह में 6.48 अरब डॉलर घटकर 675.65 अरब डॉलर पर आ गया। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के अनुसार, विदेशी मुद्रा आस्तियां, स्वर्ण भंडार, और अन्य भंडारों में गिरावट इसका मुख्य कारण रही। सितंबर के अंत में यह भंडार 704.88 अरब डॉलर के उच्चतम स्तर पर था।
विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर भारत की आयात क्षमता और अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक स्थिति पर पड़ सकता है। इसके बावजूद, क्षेत्रीय ऊर्जा व्यापार में भारत की सक्रिय भागीदारी इस स्थिति को संतुलित करने में मदद कर सकती है।
आर्थिक मजबूती के साथ कूटनीतिक सफलता की ओर कदम
नेपाल, भारत, और बांग्लादेश का यह ऊर्जा सहयोग न केवल इन देशों की अर्थव्यवस्थाओं को मजबूत करेगा बल्कि दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय स्थिरता और समृद्धि को भी बढ़ावा देगा। यह पहल ऊर्जा संसाधनों के कुशल उपयोग का उत्कृष्ट उदाहरण है और भविष्य में अन्य देशों के साथ ऐसे समझौतों के लिए एक मॉडल के रूप में काम कर सकती है।