RECRUITMENT SCAM: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेता पार्थ चटर्जी के खिलाफ पश्चिम बंगाल कैश-फॉर-जॉब भर्ती घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज धन शोधन मामले की सुनवाई में तेजी लाने का आदेश दिया। साथ ही, कोर्ट ने चटर्जी की जमानत के लिए 1 फरवरी, 2025 की समयसीमा तय की।
RECRUITMENT SCAM: जमानत पर महत्वपूर्ण निर्देश
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुयान की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि यदि मुकदमा निर्धारित समय से पहले प्रगति कर लेता है और गवाहों की जांच पूरी हो जाती है, तो चटर्जी को 1 फरवरी से पहले भी जमानत पर रिहा किया जा सकता है। इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि जमानत पर रहते हुए चटर्जी को केवल विधायक पद पर बने रहने की अनुमति होगी, लेकिन किसी अन्य सार्वजनिक पद पर नियुक्ति नहीं की जाएगी।
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कोर्ट ने कहा, “हमने विचार किया है कि विचाराधीन आरोपी को दंडात्मक हिरासत में नहीं रखा जा सकता। ट्रायल कोर्ट को 30 दिसंबर से पहले आरोप तय करने और गवाहों की जांच की प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश दिया गया है। सभी कमजोर गवाहों के बयान दर्ज किए जाएंगे और चटर्जी एवं उनके वकील को जांच प्रक्रिया में सहयोग करना होगा।”
न्यायालय ने इस तथ्य पर जोर दिया कि चटर्जी को अब तक लगभग दो साल से जेल में रखा गया है। कोर्ट ने कहा कि विचाराधीन आरोपी को इतने लंबे समय तक हिरासत में रखना उसके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। हालांकि, कोर्ट ने यह भी माना कि चटर्जी एक राजनीतिक रूप से प्रभावशाली व्यक्ति हैं और मुकदमे से पहले उन्हें जमानत पर रिहा करने से गवाहों पर प्रभाव डाला जा सकता है।
RECRUITMENT SCAM: सुप्रीम कोर्ट का आदेश
- 1 फरवरी, 2025 को पार्थ चटर्जी की जमानत सुनिश्चित की जाएगी।
- यदि मुकदमा तेजी से आगे बढ़ता है, तो उन्हें इससे पहले भी रिहा किया जा सकता है।
- जमानत पर रहते हुए चटर्जी किसी भी सार्वजनिक पद पर नियुक्त नहीं हो सकते, सिवाय विधायक पद के।
- ट्रायल कोर्ट को आरोप तय करने और गवाहों की जांच के लिए सर्दियों की छुट्टियों से पहले की समयसीमा दी गई है।
पार्थ चटर्जी को जुलाई 2022 में पश्चिम बंगाल स्कूल शिक्षक भर्ती घोटाले में गिरफ्तार किया गया था। यह मामला उस समय सामने आया जब ईडी ने उनकी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी के परिसरों पर छापेमारी की थी, जिसमें भारी मात्रा में नकदी और अन्य संपत्तियां बरामद हुई थीं। आरोप है कि जब चटर्जी पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री थे, तब स्कूल भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताएं हुई थीं।
जांच एजेंसियों का दावा है कि इस अनियमितता से कमाए गए पैसे का उपयोग टीएमसी के चुनाव प्रचार के लिए किया गया। गिरफ्तारी के तुरंत बाद, चटर्जी को राज्य मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया गया और टीएमसी से निलंबित कर दिया गया।
RECRUITMENT SCAM: उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट की भूमिका
इस साल अप्रैल में कलकत्ता उच्च न्यायालय ने चटर्जी को जमानत देने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका पर 1 अक्टूबर को ईडी से जवाब मांगा था। मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि उनकी रिहाई इस बात पर निर्भर करेगी कि यह निष्पक्ष जांच और सुनवाई को प्रभावित करती है या नहीं।
चटर्जी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और मीशा रोहतगी मोहता ने सुप्रीम कोर्ट में उनका प्रतिनिधित्व किया। रोहतगी ने दलील दी कि केंद्रीय एजेंसियां(सीबीआई और ईडी) चटर्जी को जेल में रखने के लिए कई मामलों में उन्हें फंसाने की कोशिश कर रही हैं। उन्होंने इसे “परपीड़क आनंद” का प्रदर्शन बताया।
दूसरी ओर, ईडी का प्रतिनिधित्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एसवी राजू ने किया। उन्होंने चटर्जी की जमानत पर रिहाई का विरोध किया और कहा कि उनकी रिहाई निष्पक्ष जांच को बाधित कर सकती है।
RECRUITMENT SCAM: निष्कर्ष
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश ने पार्थ चटर्जी की जमानत को सशर्त मंजूरी दी है और मामले की सुनवाई में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं। यह फैसला उनके लिए राहत लेकर आया है, लेकिन साथ ही निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित करने के लिए कुछ सख्त शर्तें भी लगाई गई हैं। मामले की अगली प्रगति पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।