DELHI HC: दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण ट्रेडमार्क उल्लंघन मामले में अंतरराष्ट्रीय खेल परिधान और फुटवियर ब्रांड ‘न्यू बैलेंस’ को बड़ी राहत प्रदान करते हुए स्थानीय जूता कंपनी को 7 लाख रुपये का हर्जाना अदा करने का आदेश दिया है। यह निर्णय वादी ‘न्यू बैलेंस’ के ब्रांड पहचान को संरक्षित करने के उद्देश्य से आया है, जो ट्रेडमार्क उल्लंघन, पासिंग-ऑफ, और अनुचित प्रतिस्पर्धा रोकने के लिए कोर्ट में याचिका दायर की थी।
यह विवाद प्रतिवादी द्वारा N डिवाइस, K डिवाइस और 550 जैसे निशानों का उपयोग करते हुए जूते का निर्माण, विपणन और बिक्री से जुड़ा था, जिन्हें ‘न्यू बैलेंस’ के N डिवाइस और 550 निशानों के साथ लगभग समान और भ्रामक कहा गया था। इस केस की सुनवाई न्यायमूर्ति मिनी पुष्कर्णा की एकल पीठ द्वारा की गई, जिन्होंने पाया कि प्रतिवादी का यह कार्य वादी के ट्रेडमार्क से संबंधित अनुचित लाभ उठाने का एक प्रयास था।
DELHI HC: वादी की ओर से उठाए गए तर्क
वादियों के वकील, अधिवक्ता उर्फी रूमी, ने अदालत के समक्ष यह तर्क दिया कि ‘न्यू बैलेंस’ के ट्रेडमार्क का व्यापक और दीर्घकालिक उपयोग के कारण बाजार में एक अनोखी पहचान और प्रतिष्ठा बन चुकी है। वादी का यह भी दावा था कि ‘न्यू बैलेंस’ का N डिवाइस और 550 निशान के पंजीकरण के अधिकार भारत में मान्य और जारी हैं।
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इन निशानों का उपयोग किसी भी तरह की मिलती-जुलती डिज़ाइन या नाम के माध्यम से अन्य कंपनियों द्वारा करना न्यू बैलेंस के ट्रेडमार्क का उल्लंघन है। वादी ने इस बात पर जोर दिया कि प्रतिवादी के निशान उनके ट्रेडमार्क से काफी मिलते-जुलते हैं, जो उपभोक्ताओं के बीच भ्रम पैदा कर सकते हैं और उन्हें ‘न्यू बैलेंस’ के उत्पादों के साथ जोड़ा जा सकता है।
वादी के अनुसार, प्रतिवादी का यह कार्य अनुचित प्रतिस्पर्धा का हिस्सा है, जो उपभोक्ताओं को गुमराह करने और वादी के ब्रांड की साख और प्रतिष्ठा को कम करने का काम कर रहा है।
कोर्ट को यह भी सूचित किया गया कि प्रतिवादी ने न केवल स्थानीय बाजार में, बल्कि ऑनलाइन माध्यमों, जैसे अपनी वेबसाइट www.knoos.in और ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों के माध्यम से भी अपने उत्पादों का प्रचार और बिक्री की। वादी ने एक निजी जांच एजेंसी की सहायता से इस मामले की गहन जांच करवाई। इस जांच के बाद खुलासा हुआ कि प्रतिवादी अपने उत्पादों का निर्माण और विपणन पूरे देश में कर रहा है और उसने जानबूझकर अपने उत्पादों पर N और 550 जैसे निशान का इस्तेमाल किया है, ताकि वह उपभोक्ताओं को भ्रमित कर सके।
DELHI HC: अदालत की टिप्पणी और निर्णय
न्यायमूर्ति मिनी पुष्कर्णा की अध्यक्षता वाली एकल पीठ ने पाया कि प्रतिवादी ने वादी के पंजीकृत ट्रेडमार्क का उल्लंघन किया है। उन्होंने कहा, “प्रतिवादी को N या 550 या किसी अन्य ऐसे निशान का उपयोग करने का कोई अधिकार नहीं है, जो वादी के ट्रेडमार्क से भ्रामक रूप से मिलता-जुलता हो।” उन्होंने यह भी कहा कि एक साधारण उपभोक्ता, जो सामान्य बुद्धिमत्ता के साथ उत्पादों का चयन करता है, वह प्रतिवादी के उत्पादों को ‘न्यू बैलेंस’ से जुड़ा हुआ समझ सकता है, जो अनुचित लाभ और ट्रेडमार्क की विशिष्टता को नुकसान पहुंचाता है।
अदालत ने प्रतिवादी के बयान पर विचार किया, जिसमें उसने स्थायी निषेधाज्ञा को स्वीकार किया और आदेश दिया कि वादी के पक्ष में निषेधाज्ञा जारी की जाए।
DELHI HC: अदालत द्वारा हर्जाना और मुआवजा
कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि प्रतिवादी का इस निशान को अपनाना वास्तविक या ईमानदार नहीं था। पीठ ने कहा, “प्रतिवादी जानबूझकर वादी के ट्रेडमार्क का उल्लंघन कर रहा था, और उसे वादी के पहले से मौजूद और प्रतिष्ठित ट्रेडमार्क के बारे में अनभिज्ञता का बहाना बनाने का कोई अधिकार नहीं है। प्रतिवादी का एकमात्र उद्देश्य वादी की ब्रांड प्रतिष्ठा और साख का फायदा उठाना था।”
अदालत ने प्रतिवादी को वादी के ट्रेडमार्क का उल्लंघन करते हुए बनाए गए उत्पादों को नष्ट करने का भी आदेश दिया। अदालत ने आदेश दिया कि वादी को हर्जाने के रूप में 5 लाख रुपये और मुआवजे के रूप में 2 लाख रुपये का भुगतान किया जाए।
DELHI HC: मामले का महत्व
यह मामला उन सभी स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है जो व्यापारिक लाभ के लिए किसी प्रसिद्ध ब्रांड के ट्रेडमार्क या डिवाइस निशानों का दुरुपयोग करती हैं। कोर्ट ने यह संदेश दिया है कि भारतीय बाजार में ट्रेडमार्क कानून को सख्ती से लागू किया जाएगा और किसी भी प्रकार की अनुचित प्रतिस्पर्धा को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।