KARNATAKA HC: गायक और अभिनेता लकी अली एक लंबे समय से चल रहे संपत्ति विवाद में उलझे हुए हैं, जिसमें भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी रोहिणी सिंधुरी और उनके परिजन शामिल हैं।
यह विवाद अतिक्रमण, संपत्ति हड़पने और धमकी देने के आरोपों से जुड़ा हुआ है। इस विवाद के चलते लकी अली के खिलाफ कर्नाटक पुलिस में एफआईआर दर्ज की गई थी, लेकिन कर्नाटक उच्च न्यायालय ने इस मामले में अहम फैसला सुनाते हुए एफआईआर पर अंतरिम रोक लगा दी है।
KARNATAKA HC: कर्नाटक उच्च न्यायालय का आदेश
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने 9 दिसंबर को पारित एक आदेश में लकी अली के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी (एफआईआर) पर अंतरिम रोक लगाने का फैसला किया। न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना ने एफआईआर पर रोक लगाते हुए पुलिस को मामले में कोई भी जांच करने से भी रोका। यह आदेश लकी अली की ओर से दायर की गई याचिका के आधार पर आया, जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की थी।
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लकी अली पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए थे। इनमें गलत तरीके से रोकने, धमकाने, संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और अनाधिकार प्रवेश करने के आरोप शामिल थे। यह आरोप आईएएस अधिकारी रोहिणी सिंधुरी और उनके परिवार के खिलाफ संपत्ति विवाद के कारण लगाए गए थे।
अली ने दावा किया था कि पुलिस उन्हें परेशान कर रही है, क्योंकि रोहिणी सिंधुरी एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी हैं। उनके अनुसार, यह मामला पूरी तरह से उनके खिलाफ साजिश का हिस्सा था।
KARNATAKA HC: सिंधुरी के खिलाफ एफआईआर का मामला
इस विवाद की शुरुआत रोहिणी सिंधुरी की सास जी बुज्जम्मा की शिकायत से हुई थी, जिसके आधार पर लकी अली के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। आरोप था कि अली ने सिंधुरी और उनके परिवार के खिलाफ अतिक्रमण और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की थी। सिंधुरी और उनके परिवार के सदस्य इस मामले में खुद को निर्दोष बताते रहे हैं और आरोपों को निराधार करार देते रहे हैं।
इस साल जून में, लकी अली ने कर्नाटक लोकायुक्त का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने दावा किया कि सिंधुरी की मदद से कुछ निजी लोग उनकी संपत्ति पर अतिक्रमण कर रहे थे।
अली ने आरोप लगाया कि यह सब उनके खिलाफ एक सुनियोजित साजिश के तहत किया जा रहा था। उनका कहना था कि कुछ लोग उनके द्वारा जमीन पर किए गए कार्यों से संबंधित विवाद का फायदा उठाकर उनकी संपत्ति पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं।
KARNATAKA HC: कर्नाटक उच्च न्यायालय का हस्तक्षेप और अंतरिम आदेश
लकी अली के द्वारा एफआईआर रद्द करने की याचिका दायर करने के बाद कर्नाटक उच्च न्यायालय ने मामले पर विचार करते हुए आदेश पारित किया। न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना ने एफआईआर पर अंतरिम रोक लगाने का आदेश दिया और साथ ही पुलिस को इस मामले में कोई भी जांच करने से रोका।
अदालत ने यह आदेश इसलिए पारित किया, क्योंकि लकी अली ने दावा किया था कि उन्हें एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के दबाव के कारण परेशान किया जा रहा था।
इस आदेश के बाद, मामले में कुछ राहत मिली है और लकी अली को इस स्थिति में कुछ समय और मिला है ताकि वे मामले की वैधता और साक्ष्य के आधार पर अपनी स्थिति को और स्पष्ट कर सकें। अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई 16 दिसंबर को तय की है, जब कोर्ट मामले पर आगे की सुनवाई करेगा और इस पर अपना अंतिम फैसला सुनाएगा।
KARNATAKA HC: मामले की तात्कालिक स्थिति और आगामी सुनवाई
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने अब तक मामले पर एक अंतरिम आदेश पारित किया है और मामले की अगली सुनवाई 16 दिसंबर को होगी। इस बीच, लकी अली के खिलाफ एफआईआर पर रोक के चलते, पुलिस कोई भी कार्रवाई करने से बच रही है।
यह मामला अब कोर्ट के समक्ष चल रहा है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि 16 दिसंबर को अदालत इस विवाद में क्या फैसला करती है।
लकी अली और रोहिणी सिंधुरी के बीच यह संपत्ति विवाद एक गंभीर कानूनी लड़ाई बन चुका है, जिसमें आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है।
कर्नाटक उच्च न्यायालय का आदेश इस विवाद को लेकर महत्वपूर्ण साबित हो सकता है, क्योंकि इससे दोनों पक्षों को न्याय प्राप्त करने का अवसर मिल सकता है। हालांकि, इस मामले की अगली सुनवाई के बाद ही यह स्पष्ट होगा कि अदालत इस मामले में क्या अंतिम फैसला सुनाती है और क्या इस विवाद का समाधान निकलता है या नहीं।